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इससे पहले कभी अंधकार की जड़ें अस्तिपुर में इतनी नहीं फैली होंगी। जल्द ही कुछ भयानक घटित होने जा रहा है।
अतृप्य तृष्णा से व्याकुल इंद्रजीत डबराल किसी ऐसी चीज को हासिल करने चल पड़ा है जो इस लालच की भूख को शान्त करने के बजाय उसे किसी पुराने अभिशाप में उलझा दे।
केवल यहीं नहीं, आसुरी कुम्भ से आजाद हो चुका है एक भयानक कोलाहल जो अस्तिपुर को जड़ से मिटाने के लिए उन्मत्त है।
वहीं दूसरी ओर, एक मायावी महादर्शक एकत्र कर चुका है शक्ति और बुद्धि के ऐसे मायावी लोग, जो सतयुग की इस लड़ाई में मदद करेंगे उस खतरे को मिटाने में जो अंधकार में छुपा हुआ है।
स्वयंभू प्रस्तुत करता है, अस्तिपुर के सुपरहीरो के जीवन का अगला अध्याय…
सतयुग: भाग–तीन
© 2022 स्वयंभू एंटरटेनमेंट। सर्वाधिकार सुरक्षित। यह एक काल्पनिक कृति है। इस पुस्तक के सभी नाम, पात्र, व्यवसाय, स्थान, और घटनाएँ या तो लेखक की कल्पना की उपज हैं या काल्पनिक तरीके से उपयोग की गई हैं। वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई भी समानता विशुद्ध रूप से संयोग है।
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